कुछ नज्म , कुछ शेर, कुछ रूबाईयां लिखी,
मैने तो बस रात की तन्हाइयां लिखी.......।
उनके सीने में जलन है मेरी आहट से,
मै क्या करूं, उनकी बेवफाईयां लिखी।
शहर में चर्चा ए आम है उनकी रूखसत का,
मैने तो अपनी जेहन की रूसवाईयां लिखी।
गूलों से पूछते हैं वो मेरे दर का पता,
मैने तो उनके नाम अपनी कलाईयां लिखी।
वो तब्स्सुम, वो शबाब, वो तेरा हिजाब,
क्या कहूं, तलातूम की अंगडाईयां लिखी।

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