तोड दो दासता की आज हर दीवार को
बली की वेदी पर ,लाओ भ्रष्टाचार को
सभ्यता के पथ पे, चूभते हर सूल को
भ्रष्ट सत्ता के, मदमस्त हर दलाल को।
नीतियों में नीयत की खोट पे प्रहार हो
जनविरोधी सोच की पग पग पे हार हो
तेरे लहू से सींचते हैं बाग की जो क्यारियां
उन खेतों की मेड पर अपना हल कुदाल हो
आज की आवाज पर पहरा बिठा है हर तरफ
बेडियां , सलाखों की दे रहे हैं वे सबब
जेल की दीवाल पर कितने लिखोगे नाम तुम
हर मोड पर हैं खडे, तेरे खिलाफ बेसबब
जिस दंभ मे तू भर रहा हुंकार अब वो चूर हो
सत्य की जीत हो , ना कोई मजबूर हो
एक जंग है ऐलान जिसकी हो गई सडक से है
गूज संसद में सूनो, जो मुद्दे सड.क पे मशहूर हो।
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