शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

तू कौन है.........................?

तू कौन है.........................?
अन्‍नत में लिपटा ,सिमटा एक कैनवास
जिसपे उकेरता है कोई रंगो की छटायें
कभी पास आये कभी दूर जायें
हवाओं के रूख बदलने से बदल जाए।
वो कौन है जो छेडता है यूं बार बार,
बिखेरता है सफेद चादर नीले अम्‍बर में
बूंदो की हलचल से ठहर जाते हैं हम
लहरों का तूफां बन जाती है सरगम।
बदल गया है पतों का रंग अचानक
जमीं पर बिछ गई है पीली चादर
पंखुडियों पर ओस की इठलाती बूंदे
मादक सी जेहन में उतरती सुगंधे
तेरे जादू पर निसार होना चाहता हूं
तेरे करतब से दो चार होना चाहता हूं
खूली पलकों में तू आके समा जा
या फिर नींद में खलल बनके आ जा
जिधर देखता हूं तेरी हंसी है
हर जर्रे में फैली तेरी रोशनी है
जो मायूस है कोई सितमगर यहां
तेरी रहमत की हुई उसको कमी है
राग में,रंग में, फूल में, सुगंध में
मीरा की भक्ति मे , तू हर अंग में
जटा जो बिखेरे तो शैलाब आए
अपनी नजरे समेटे तो दिन ढल जाए
बेपलक ढूंढता हूं, निराकार बन जा
जो नजरे मैं खोलूं तो साकार बन जा
मेरी भक्ति में शक्ति की ओज भर दे
मैं तूझमें समाउं मुझे ऐसा वर दे।